पैंपर्स क्षेत्र में जलन को pañalitis कहते हैं, जो बच्चे की त्वचा को लाल कर देता है और उसमें परतें, दरारें, और कुछ मामलों में खून भी दिखाई देने लगती है। यह मुख्य रूप से पेशाब और मल को ठीक से साफ न करने के कारण होता है, जिनका pH बच्चे की त्वचा के लिए अम्लीय होता है।
यह सूजन दो साल की उम्र तक के बच्चों में बहुत आम समस्या है, खासकर तब जब वे गंदे डायपर के लगातार संपर्क में रहते हैं। pañalitis से बचाव के लिए सबसे अच्छा इलाज है डायपर क्षेत्र को साफ़ और सूखा रखना, और बच्चे की त्वचा की देखभाल के लिए उपयोग होने वाली क्रीम लगाना।
साथ ही, डायपर को गंदा होने पर तुरंत बदलना और बच्चे को गुनगुने पानी से नहलाना जरूरी है। टैल्कम पाउडर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि यह बच्चे की श्वसन प्रणाली को प्रभावित कर सकता है। नवजात शिशुओं के डायपर दिन में पांच से छह बार बदले जाते हैं। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, यह संख्या कम हो जाती है और दो साल की उम्र तक बच्चे को पॉट्टी इस्तेमाल करना सिखाना चाहिए।
यदि त्वचा की लालिमा कुछ दिनों तक बनी रहती है और प्रभावित क्षेत्र में फफोले या घाव हो जाएं जो स्राव करें, तो यह फंगस या बैक्टीरियल संक्रमण हो सकता है। ऐसे मामलों में बच्चे को तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए ताकि सही इलाज शुरू किया जा सके। घर के उपाय या कॉर्टिकोस्टेरॉयड वाली क्रीम का उपयोग कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि वे संक्रमण बढ़ा सकते हैं और बच्चे की सेहत को खतरे में डाल सकते हैं।
पैंपर्स की जलन में निम्न चीजें मनाही हैं:
- टैल्कम पाउडर: डायपर बदलते समय इसका इस्तेमाल बच्चे को सूखा रखने में मदद नहीं करता। इसके बजाय, यह त्वचा को सांस लेने से रोकता है और जलन को बढ़ावा देता है।
- घरेलू नुस्खे: सिरका, सब्ज़ियों या फलों के काढ़े, या किसी भी तरह के घरेलू नुस्खे उपयोग में नहीं लाने चाहिए, क्योंकि इनमें साइट्रस जैसे तत्व होते हैं जो जलन को बढ़ा सकते हैं।
- पॉलीएस्टर या प्लास्टिक जैसे कपड़े: ऐसे कपड़े त्वचा की उचित सांस लेने में बाधा डालते हैं, इसलिए उनसे बचना चाहिए।
- मॉइस्चराइजिंग क्रीम: वयस्कों या बच्चों के लिए उपयोग होने वाली मॉइस्चराइजिंग क्रीम का उपयोग करने से बचें, क्योंकि ये त्वचा पर तेल की परत बना कर समस्या को बढ़ा सकती हैं।
इसके विपरीत, निम्नलिखित उपाय करने की सलाह दी जाती है:
- बार-बार डायपर बदलना: त्वचा की जलन रोकने के लिए डायपर को अक्सर बदलना चाहिए। 6 से 12 महीने के बच्चे के लिए प्रतिदिन 4 से 5 नए डायपर बदलने की जरूरत होती है।
- जिंक ऑक्साइड युक्त क्रीम: ये क्रीम त्वचा को सूखा रखने में मदद करती हैं। वैसलीन का भी उपयोग किया जा सकता है, जो बच्चे के मल-मूत्र को त्वचा पर जमने से रोकती है।
- अच्छी सफाई: संभव हो तो प्रत्येक डायपर बदलने के समय गुनगुने पानी से साफ़ करें। यदि ऐसा संभव न हो, तो शराब मुक्त मोटे बनावट वाले गीले वाइप्स का एक या दो उपयोग करें।
- सही दिनचर्या: माता-पिता द्वारा सावधानीपूर्वक और नियमित डायपर बदलने की आदतें अपनाने से बच्चे में pañalitis की संभावना कम हो जाती है।
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